dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

गजल

देखियौ टुक टुक ताकै छै काठक बनल लोक
मोनमे सब किछु राखै छै काठक बनल लोक
पाँजरक हड्डी झलकै छै चामक तरसँ आब
नै किछो तइयो बाजै छै काठक बनल लोक
अपन फाटल बेमायक दर्दसँ नै कराहैत
महल अनकर टा साजै छै काठक बनल लोक
आगि छातीमे ठंढ़ा पड़ि गेलै लहकि लहकि
फूसियों मुस्की मारै छै काठक बनल लोक
कर्ज नोरक नै ककरो लग बाकी रहत आब
"ओम" कखनो नै कानै छै काठक बनल लोक
2-1-2-2, 2-2-2-2, 2-2-1-2, 2-1 मात्रा क्रम प्रत्येक पाँतिमे।

कोई टिप्पणी नहीं: